Sunday, 12 August 2012

आहटें


क्यूँ आज दिल फिर तड़प उठा है,
किसी की आने की आहटें हैं,
वो शाम लौटे वो रात लौटे,
यही गुज़ारिश किये हुए हैं,

वो सिलवटें जो हैं दिल में कायम,
धड़क रहीं हैं तेरी छुअन को,
पलक मेरी राहों में बिछी है,
कदम बड़ा आजा पास आ तू,
पिघल रही हूँ मै मोम बनकर,
सजा दे मुझको नए रूप में,
तू अपने दिल का करार दे दे,
मेरे दिल की तू आह ले ले,

क्यूँ आज दिल फिर तड़प उठा है,
किसी की आने की आहटें हैं,
वो शाम लौटे वो रात लौटे,
यही गुज़ारिश किये हुए हैं ...

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