Jharokha (Skylight)
इंदु लडवाल - नज़्म बांकी है, अभी से लोग क्यूँ उठने लगे, अभी तो ख्यालाते मन, कुछ कहने को बेचैन है
Monday, 13 August 2012
बूँदों की तरहा
कभी तुम भी चले आया करो
सावन की बूँदों की तरहा
भीगा दो तन मिटा दो
विरहा की अग्नि तपाती है ..
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment