Sunday, 12 August 2012

शब्दों की लिए कतार

शब्दों की लिए कतार
इन्हें मैं बांध आज ले आई हूँ
कुछ हँसते कुछ गम के
पल बिताने यहाँ पर आई हूँ ...

जीवन है इक बहती नदिया
हम सब इसकी कश्ती हैं
बहते रहना उफ़ ना करना
भँवर हो या तूफान कोई ...

लड़ने से होगा क्या हासिल
प्यार गीत मै गाऊँ कोई
सब एक बंधन में बंध जाएँ
ऐसी डोर लगाऊं कोई ...

पतझड़ के मौसम में नाचूँ
खिजाओं से मै प्यार करूँ
रहने ना दूँ भेदभाव मैं
ऐसी जुगत लागाऊँ कोई ...

प्यार नफरत के बीज को
धरा के अंदर यूँ डालूँ
लिपटाये निकलें दोनों
पहचान ना पाए उसे कोई ...

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