Sunday, 12 August 2012

इत्तेफाक नहीं

इत्तेफाक हो नहीं सकता तेरा यूँ मिलना,
मेरे हूजूर क्या है राज़ ये समझाईये ज़रा,
क्यूँ भला मिले मुझे इस भरी दुनिया में,
और भी तो थे नज़रों में हुस्न-ए-वफ़ा ...

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