Sunday, 12 August 2012

ये पैसा है कैसा ....

ये पैसा है कैसा, जो हों तो मुसीबत,
ना हो मुसीबत
हाय ! ये पैसा......


इक होड़ मची है दुनिया में
सब कुछ पाना है जल्दी
पैसा मकान दुकान और वो भी जो घरवाली है .......

मन शांत नहीं
बड़ा व्याकुल है तन
खुली आँखों में है कोई ख़्वाब सुनहरा ...

पत्थर सा कोई
पीठ पे लादे चलते हैं
है दर्द नहीं सब मगन है बस इस रेले में .......(इन्दु लडवाल)

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