Monday 13 August 2012

सुन ले अरज मेरी ....

बंसी की धुन सुन-सुन मै बावरी भई,
सुध-बुध सब बिसरा मैं काँ कू गयी

सब पाछे तेरे जे गोपियाँ पगली भई
काम नाही कछु बस तेरो धुन लगो

फिर आज तू आजा गोकुल अपने
सब मिलकर रास रचावेंगे प्रभु

हट ना करियो जल्दी आईयो
रस्ता सब मिल देखेंगे प्रभु .....(इन्दु लडवाल)

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