Monday, 13 August 2012

कान्हा की मुरली ...

कान्हा की मुरली बाजी है
मस्त भये सब गोपीजन
छोड़ झाड काम आपनो
सब तेरे पाछे लागी हैं

रूप अनंत हैं कृष्णा के
हाथों में मुरली साजी है
तेरा मेरा नाता जाने किस
जुग हम संगी साथी हैं

आरती गाऊँ तिलक लगाऊं
तू मंद मंद मुस्काए है
क्या जाने क्या सोचे तू
दुनिया पागल पीछे है

तेरी मेरी बातें हैं ना
राधा है ना मीरा है
हो प्राण-प्यारी मन-हरनी
हम दोनों हमराज़ हैं

जय श्री कृष्णा .....(इन्दु लड्वाल)

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