Monday 13 August 2012

रुके रुके से कदम ...

ये रुके रुके से कदम तेरे
हाय!
क्या गज़ब कर जाएँगे
पास भी ना आएंगे ये
दूर ही ना ये जाएँगे

ज़र से अठखेलियाँ ना कर
बेमौत ही मर जाएँगे
खुशी झलक ना पायेगी
ना आँसू ही बहा पाएँगे

है प्यार भी अनोखा तेरा
ना जीने दे ना मरने दे
कुछ सुकूं मिला हमें
कभी बेकरारी पाएँगे ..........(इन्दु लडवाल)

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