Sunday, 12 August 2012

प्यास बड़ी

कितने बरस बिताए तुमने,
आने को मेरे पास,
अब कहते हो भूल जाऊँ,
विरह की वो काली रात,
प्यास बड़ा कर तुम ना आये,
व्याकुल मन जियरा तरसाए,

सूरज चाँद को मै क्या करती,
शीतल छाया गर्मी पड़ती,
अँधियारा कितना गहराता,
सूरज चमक चमक सा जाता,
दिल को है जो प्यास बड़ी,
तुम ही कह दो कैसे बुझे .........(इंदु लड्वल)

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