Sunday, 12 August 2012

पँख

मेरे सपनों को लगे पँख,
आप ने उड़ना सिखा दिया.
दिया इतना है झोली भर,
संभलना मुश्किल कर दिया,

अँधेरों में भटकते थे,
चिराग सा जला दिया,
हमें मंजिल की तलाश थी,
रस्ता आपने दिखा दिया,

स्नेह की मूर्ति बन गए,
सभी को गले लगा लिया,
जो तन्हा थे राहों में,
उन्हें भी साथ कर लिया,

नहीं है शब्द जो पूरा करे,
आपके इस प्यार को,
जमीं से उठाकर हमको,
आपने फलक कर दिया,

मेरे सपनों को लगे पँख,
आप ने उड़ना सिखा दिया.
दिया इतना है झोली भर,
संभलना मुश्किल कर दिया ...

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