Sunday, 12 August 2012

कृष्णा मन को भाए


मोहनी मूरत साँवली सूरत,
कृष्णा मन को भाए,
हाए!
कैसी प्रीत लगाये,
कृष्णा मन को भाए,

माखन चोर तू कृष्ण कनहिया,
क्यूँ व्याकुल कर जाये,
हाए!
...
कैसी प्रीत लगाये,
कृष्णा मन को भाए,

मुरली मनोहर गोपियों के संग,
कैसी रास रचाए,
हाए!
कैसी प्रीत लगाये,
कृष्णा मन को भाए,

तुम बिन प्रभु जिया नाही लागे,
संसार ये नीरस लागे,
हाए!
कैसी प्रीत लगाये,
कृष्णा मन को भाए,

मेरे घर आँगन तू आजा,
बलिहारी में जाऊं,
हाए!
कैसी प्रीत लगाये,
कृष्णा मन को भाए,

क्रोध दोष सब छोड़ दूं मै,
चरनन से जो तू लगाये,
हाए!
कैसी प्रीत लगाये,
कृष्णा मन को भाए,
तुम बिन उजियारे को तरसूँ,
अँधियारा जीवन हो जाये,
हाए!
कैसी प्रीत लगाये,
कृष्णा मन को भाए,

साँझ सवेरे दर्शन तेरे,
मुझको जो हो जाये,
हाए!
कैसी प्रीत लगाये,
कृष्णा मन को भाए ...

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