आज मुलाकात हो गयी उनसे,
वो वही थे पर हम बदल गए,
उनके देखने का अंदाज़ वही था,
पर निगाहें हमारी बदल गयीं,
हम तो अब भी गुलिस्तान हैं,
सेहरा में वो उजड़ गए,
हमने फूलों को सजाया,
और उनके लिए कांटें पिरो गए,
ज उनको खुलकर देखा हमने,
बंदगी से सर झुका दिया,
इतने मिले उनके हालत हमसे,
हम हैं वो और वो हम ऐसा लगा,
खोला जो दिल उनका,
मिले कुछ पुराने किस्से,
कुछ हमारी शिकायतें,
और कुछ बेवफाई,
सहेज कर रखतें हैं वो,
तमाम उम्र का हिसाब,
किसने दिया कितना दिया,
ये उनको नहीं है याद,
मेरे क़दमों की छाप,
आज भी है उनके दर पे,
कितने बरसों से उनने,
सफाई नहीं की घर की,
जिस आईने में उनने,
देखा था मुझको,
मुद्दतों बाद भी वो तस्वीर,
कायम है अब तक,
जिस जगह बैठे थे,
साँथ हम कभी,
उनने यादों की एक,
चादर सी डाल रक्खी है,
दी कसम हमने थी कभी,
उनको न रोने की,
उनने वादा तो किया पूरा,
ऑंखें पथरा सी रक्खी हैं,
मुस्कुरातें हैं मगर,
वो ख़लिश झलक जाती है,
जो दिन गुज़रे बिना मेरे,
वो कमी तडपाती हैं,
आज मुलाकात हो गयी उनसे,
वो वही थे पर हम बदल गए,
उनके देखने का अंदाज़ वही था,
पर निगाहें हमारी बदल गयीं,.........................(इंदु)
वो वही थे पर हम बदल गए,
उनके देखने का अंदाज़ वही था,
पर निगाहें हमारी बदल गयीं,
हम तो अब भी गुलिस्तान हैं,
सेहरा में वो उजड़ गए,
हमने फूलों को सजाया,
और उनके लिए कांटें पिरो गए,
ज उनको खुलकर देखा हमने,
बंदगी से सर झुका दिया,
इतने मिले उनके हालत हमसे,
हम हैं वो और वो हम ऐसा लगा,
खोला जो दिल उनका,
मिले कुछ पुराने किस्से,
कुछ हमारी शिकायतें,
और कुछ बेवफाई,
सहेज कर रखतें हैं वो,
तमाम उम्र का हिसाब,
किसने दिया कितना दिया,
ये उनको नहीं है याद,
मेरे क़दमों की छाप,
आज भी है उनके दर पे,
कितने बरसों से उनने,
सफाई नहीं की घर की,
जिस आईने में उनने,
देखा था मुझको,
मुद्दतों बाद भी वो तस्वीर,
कायम है अब तक,
जिस जगह बैठे थे,
साँथ हम कभी,
उनने यादों की एक,
चादर सी डाल रक्खी है,
दी कसम हमने थी कभी,
उनको न रोने की,
उनने वादा तो किया पूरा,
ऑंखें पथरा सी रक्खी हैं,
मुस्कुरातें हैं मगर,
वो ख़लिश झलक जाती है,
जो दिन गुज़रे बिना मेरे,
वो कमी तडपाती हैं,
आज मुलाकात हो गयी उनसे,
वो वही थे पर हम बदल गए,
उनके देखने का अंदाज़ वही था,
पर निगाहें हमारी बदल गयीं,.........................(इंदु)
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