Jharokha (Skylight)
इंदु लडवाल - नज़्म बांकी है, अभी से लोग क्यूँ उठने लगे, अभी तो ख्यालाते मन, कुछ कहने को बेचैन है
Tuesday, 20 March 2012
चार दिन की ज़िन्दगी में रंजो-ग़म कितने,
हैं फासले कितने, मुश्किल है ये बताना............ (indu)
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