Wednesday 21 March 2012

गम बिकते नहीं हमारे

ताल्लुक तो तेरा
होता होगा कितनो से,
हमारा भी जिक्र
छेड़ दिया कीजिये,
गम बिकते नहीं हमारे,
कोई सोदा तो तय करा दीजिये,

कितने बरसों से इन्हें
सहेज कर रक्खा हमने,
अब नहीं चाहिए
बिक जाये तो बिका दीजिये,

वैसे तो मुमकिन नहीं है
गम के बिना जीना
पर संभाल जायेगा दिल
कुछ वक़्त के बाद.................................(इंदु)

No comments:

Post a Comment