रफ़्तार भरी जिंदगी में, एक पल मिल जाये कहीं,
कोई तो तारा हो, जो आरजू के लिए टूट जाये मेरी,
थाम ले हाथ मेरे, जो लडखडा जाउन कभी,
मना ले मुझको, जो रूठ जाउन कभी,
मना ले मुझको, जो रूठ जाउन कभी,
मैं कोई समंदर तो नहीं, प्यास बुझाती रहोउं ,
मुझको भी है प्यास, दो बूँद मिल जाये कहीं,
हर रोज़ तो हाथ इबादद के लिए, उठतें हैं मेरे,
कभी तो खुदा भी आए, इबादद पे मेरी,
रफ़्तार भरी जिंदगी में, एक पल मिल जाये कहीं,
कोई तो तारा हो जो आरजू के लिए टूट जाये मेरी.....(इंदु लडवाल)
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